रिश्तेदारों की चांदी

October 20 2009


उध्दव ठाकरे भाजपा से अपने रिश्तों को लेकर किंचित सहज नहीं हो पा रहे हैं, उनका मानना है कि प्रमोद महाजन की तरह भाजपा के पास ऐसा कोई सूत्रधार नहीं बचा है जो हर उतार-चढ़ाव में भाजपा और शिवसेना के बीच संवाद का पुल बांध सके। सेना अब भी भाजपा को मारवाड़ियों और गुजरातियों की पार्टी मानती है। जिसका असर महाराष्ट्र के शहरों से अलहदा मराठवाड़ा और विदर्भ में है। मराठावाड़ा गोपीनाथ मुंडे का इलाका है। ग्रामीण मराठवाड़ा में तकरीबन 30 फीसदी मराठा आबादी बसती है, सेना चाहती थी कि यहां भाजपा ज्यादा से ज्यादा मराठियों को टिकट दें, पर मुंडे ने यहां थोकभाव में अपने सहजातीय बंजारों को टिकट बांटा है और कोई आधा दर्जन टिकट तो मुंडे ने यहां अपने रिश्तेदारों में बांट दिए हैं। सो अब यहां मराठा स्वाभिमान की लड़ाई से बाहर हो गई है भाजपा और कांग्रेस ने यहां बढ़त बना ली है।

 
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