राहुल की एक भूल

August 28 2011


‘देश के युवा यहां हैं, राहुल गांधी कहां हैं?’ रामलीला मैदान पर अन्ना के अनशन को समर्थन देने के लिए जुटे युवाओं ने जब यह उद्धोष प्रारंभ किए तो सत्ता के नेपथ्य से संसदीय रंगमंच पर यूं अवतरित हुए कांग्रेसी युवराज जैसे प्रधानमंत्री की लाइन से इतर वे लोकपाल पर एक नया एजेंडा लेकर आए हों। पर शनिवार को अपने उद्बोधन में नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज ने इसे राहुल गांधी का राष्ट्र के नाम संदेश करार दिया। सुषमा ने न केवल राहुल की 5 पन्नों की 15 मिनट की ‘स्पीच रीडिंग’ पर सवाल उठाए अपितु संसदीय प्रक्रियाओं को भी कटघरे में खड़ा किया। नेता प्रतिपक्ष का कहना था कि माननीय स्पीकर जीरो ऑवर में अव्वल तो ऐसे इंटरवेंशन की अनुमति नहीं देती और अगर ऐसी अनुमति दी भी जाती है तो महज 3 मिनट के लिए, जिसे वक्ता खींच-खाचकर 5 मिनट तक ले जा सकता है। सो विपक्ष को लग रहा है कि राहुल संसद में कांग्रेस की पार्टी लाइन बताने आए थे। विपक्ष खासकर भाजपा को यह भी लगता है कि राहुल प्रधानमंत्री के ‘स्टेट्समैनशिप’ पर पानी फेर गए। अन्ना का अनशन तुड़वाने में कांग्रेस से कहीं ज्यादा विपक्ष की एक महती भूमिका रही। यही एक बात है जो प्रधानमंत्री खेमे को खाई जा रही है।

 
Feedback
 
Download
GossipGuru App
Now!!