मध्यावधि चुनाव की आहटें

December 17 2010


क्या देश फिर से मध्यावधि चुनावों की ओर जा रहा है? राहुल गांधी के करीबी नेताओं के दावों पर अगर यकीन किया जाए तो इसका उत्तर ‘हां’ में है। बिहार चुनाव में कांग्रेस की इतनी अप्रत्याशित हार से राहुल हतप्रभ जरूर हैं, पर सदमे में नहीं, शायद यही कारण है कि बिहार के चुनावी नतीजे आने के बाद से राहुल सियासी तौर पर ज्यादा सक्रिय हो गए हैं, अपनी युवा ब्रिगेड से नियमित तौर पर मिल रहे हैं, तो अन्नाद्रमुक जैसे नए सहयोगी दलों की तलाश में भी जुट गए हैं और उनके प्रमुख नेताओं से मीटिंग कर रहे हैं। विपक्षी दलों का भी मत है कि अगर संसद में विपक्षी एका यूं ही बनी रही तो मजबूर होकर कांग्रेस को कोई बड़ा कदम उठाना पड़ेगा, सितंबर-अक्तूबर में चुनाव के लिए सियासी माहौल टटोला जा रहा है, वहीं खुद राहुल गांधी इस पक्ष के बताए जाते हैं कि वर्ष 2012 में यूपी चुनाव के साथ ही लोकसभा चुनाव करवा दिए जाएं। कांग्रेसी मैनेजरों का आकलन है कि यूपी, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, पंजाब, कर्नाटक व असम में भाजपा अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाएगी, वहीं भाजपा का अपना आकलन है कि कांग्रेस आंध्र, हरियाणा, राजस्थान व महाराष्ट्र में बुरी तरह से हारेगी।

 
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