मजबूरी का नाम गडकरी

April 11 2012


नितिन गडकरी के लिए पार्टी में सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है, अभी पिछले दिनों गडकरी ने अपने नई दिल्ली स्थित आवास पर पार्टी महासचिवों की एक बैठक आहूत की जाहिरा तौर पर इसका उद्देश्य शिमला के राष्ट्रीय अधिवेशन की तैयारियों का जायजा लेना था, पर इस मीटिंग के बहाने गडकरी अपनी दुबारा ताजपोशी की संभावनाओं को टटोल रहे थे। सनद रहे कि अगले कुछ महीने में शिमला में पार्टी का राष्ट्रीय अधिवेशन होना है जिसमें एक तरह से तय हो जाना है कि क्या गडकरी पुन: पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के तौर पर चुने जाएंगे, उनका दुबारा मनोनयन होगा। संघ से जुड़े सूत्रों का दावा है कि गडकरी को उनकी दूसरी पारी के लिए संघ का ‘गो-अहेड’ मिल चुका है, बस पार्टी के सीनियर नेताओं मसलन अडवानी, सुषमा, जेतली, जोशी, यशवंत सिन्हा, विनय कटियार, विजय गोयल आदि के मन में गडकरी की दुबारा ताजपोशी को लेकर कई सवाल हैं, पर इनकी ओर से भी कोई सर्वसम्मत नाम उभर कर सामने नहीं आ पा रहा है, ले देकर एक नाम बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी का उभरा है, पर सब को मालूम है कि सियासी कद के मायने में वे तो गडकरी से भी उन्नीस ठहरते हैं, सो ले-देकर इस बार भी गडकरी का ही दावा सबसे मजबूत दिखता है।

 
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