भाजपा में जासूस |
August 22 2010 |
क्या भाजपा में सब ठीक-ठाक चल रहा है? नहीं तो क्या कारण है कि पार्टी मुखिया ने खुफिया विभाग के एक रिटायर्ड अधिकारी को छह लाख रुपए की मासिक तनख्वाह में नौकरी पर रख लिया है। पर इसके नतीजे भी आनन-फानन में दिखने लगे हैं, पार्टी के कई ‘ऑफ द् ब्रीफिंग’ सरताज पत्रकारों से अब कतराने लगे हैं, पार्टी की किसी अहम मीटिंग के बाद भी बड़े भगवा नेता पत्रकारों से, यहां तक कि नियमित ‘बीट’ कवर करने वाले रिपोर्टर से भी छिटकने लगे हैं, बीजेपी बीट देखने वाले पत्रकारों की मुसीबत हो गई है कि न सिर्फ भगवा नेता उनसे मिलने कतराते हैं, अपितु फोन पर बतियाने से भी घबराते हैं, क्योंकि यह मोटी तनख्वाह प्राप्त जासूस नेताओं व पत्रकारों के फोन डिटेल्स आसानी से फोन कंपनियों से निकाल ले रहे हैं और इसके आधार पर पार्टी प्रमुख को यह रिपोर्ट पेश कर रहे हैं कि किस बड़े नेता की किस पत्रकार से कितनी देर बात हुई। क्या फलां मीटिंग खत्म होते ही किसी नेता ने किसी पत्रकार से फोन पर बतियाया था। यानी भगवा पार्टी में सर्वत्र हड़कंप का आलम है और बोलने-बतियाने की आजादी पर सचमुच का ग्रहण लगा हुआ है। |
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December 13th, 2010
I’d have to cut a deal with you one this subject. Which is not something I usually do! I love reading a post that will make people think. Also, thanks for allowing me to comment!