भाजपा का खजाना खाली

March 05 2013


थैलीशाहों की पोषित पार्टी समझी जाने वाली भारतीय जनता पार्टी का खजाना खाली है, इतना ही नहीं पार्टी पर विभिन्न लेनदारों के कोई 26 करोड़ रूपए बकाया हैं। 1 मार्च से शुरू हुई पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी व राष्ट्रीय परिषद की बैठक में भी इसका असर देखा गया। अलग-अलग राज्यों से हजारों पार्टी प्रतिनिधि इस परिषद में हिस्सा लेने दिल्ली पधारे थे, इन्हें पहाड़गंज व करोलबाग के बेहद सस्ते बजट होटलों में ठहराया गया। इससे पहले इनकी सेवा में टैक्सी तैनात रहती थी, इस बार कोई डेढ़ सौ पार्टी कार्र्यकत्ताओं से कहा गया कि वे अपनी कार में इन प्रतिनिधियों को लेकर तालकटोरा के सभा स्थल तक पहुंचे। सवाल अहम है कि ऐसा क्या हुआ कि गडकरी के गद्दी छोड़ते ही नए अध्यक्ष राजनाथ सिंह को खाली खजाने से संतोष करना पड़ा? सूत्र बताते हैं कि पार्टी के दिग्गज नेता अडवानी, राजनाथ सिंह, गडकरी आदि अक्सर अपना सफर चार्टर्ड विमानों से ही पूरा करते हैं, यदा-कदा ये नेता गण अपनी सभा बैठकों के लिए हेलिकॉप्टर का भी इस्तेमाल करते हैं, जिसका अच्छा-खासा बिल आता है। अब से पहले पार्टी के केंद्रीय फंड में सबसे ज्यादा योगदान हिमाचल व कर्नाटक की भाजपानीत सरकारों का होता था। झारखंड से भी पार्टी फंड में खासा पैसा मिल जाया करता था। बदले परिदृश्य में हिमाचल व झारखंड में भाजपा की सरकारें नहीं रहीं, कर्नाटक में राजनैतिक अस्थिरता का आलम बरकरार है। रही बात गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ की तो यहां के मुख्यमंत्री गण स्वयं को पार्टी आलाकमान से कहीं उपर समझते हैं। नरेंद्र मोदी का तो पार्टी फंड में सबसे कम योगदान होता है। गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पारिक्कर गोवा को एक छोटा सा राज्य बताते हैं और संसाधनों की कमी का रोना रोते हैं। जब तक गडकरी थे तो कई मदों से पार्टी फंड में पैसा ले आया करते थे। जब से राजनाथ का राज आया है पार्टी का खजाना और कार्र्यकत्ताओं का उत्साह दोनों ही फुस्स हो गया है।

 
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