बड़े कूल हैं कुलकर्णी!

March 07 2010


आप सुधींद्र कुलकर्णी नामधारी सान को शायद ही भूल पाए होंगे, अडवानी का बोरिया-बिस्तर समेटवाने में उनकी एक महती भूमिका रही है और जिन्ना के खटराग से अडवानी को बाग-बाग करवाने में उनका ही हाथ रहा है। आजकल जनाब ममता बनर्जी के साथ हैं और दीदी के आंख-कान बने हुए हैं रेल मंत्रालय में, वैसे भी ममता दीदी को वाम और बंगाल से ही कब फुर्सत मिलती है जो उनका ध्यान कभी अपने मंत्रालय की ओर भी जाए, सो दीदी ने मंत्रालय की बाबत जैसे ‘ट्रांसर्फर और पॉवर’ का नया मर्सिया लिख दिया है और सुधींद्र भले ही अधिकारिक तौर पर रेल मंत्रालय की एक कमेटी भर में दबदबा रखते हों, पर ममता के विशेष दूत बनकर पिछले दिनों वे प्रधानमंत्री से भी जाकर मिल आए, वह भी रेल बजट की बाबत। मजे की बात देखिए जहां सुधींद्र एक ओर यूपीए शासनकाल का लुत्फ उठा रहे हैं, वहीं कहीं अडवानी और वेंकैया नायडू से अब भी उनके उतने ही अच्छे रिश्ते हैं। मी मुंबईकर के नाते भाजपा के नए नवेले अध्यक्ष नितिन गडकरी से भी उनकी गहरी छनती है। अभी हालिया दिनों में कुलकर्णी मुकेश अंबानी ग्रुप नीत आब्जर्वर फाउंडेशन के मुंबई प्रमुख बन गए हैं, तो हिंदुजा से भी उनकी मित्रता उतनी ही गहरी है, जितनी उनकी दोस्ती टाटा से है। और टाटा से भी उनकी दोस्ती तब परवान चढ़ी जब सिंगूर का मामला गर्म था और जिस सिंगूर व टाटा का विरोध ममता बनर्जी कर रही थीं, पर कुलकर्णी थे जो इन तमाम वाकयातों से निकलकर ममता के भी करीब हो गए और टाटा के भी। इसे कहते हैं सियासी कलाबाजी!

 
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