बेदम खुफिया तंत्र

July 18 2011


सोहराबुद्दीन और इशरत जहां मुद्दे के बाद क्या जरूरी इंटेलीजेंस का टोटा पड़ गया है? क्या कारण है कि हमारे खुफिया तंत्र को ससमय अहम जानकारियां नहीं मिल पातीं? कभी भूले-भटके कोई जानकारी (कभी अमरीका के सहयोग से तो कभी पुलिसिया पूछताछ में) अकस्मात हासिल हो भी जाती है तो उस पर जरूरी कार्यवाही नहीं होती। इस बारे में खुफिया एजेंसी से जुड़े एक अहम सूत्र ने खुलासा किया ‘हम क्या करें, पिछले कुछ समय से ऐसा चल रहा है कि हमारे पुलिस वालों पर दनादन मुकदमे चल रहे हैं, वे जेलों में डाले जा रहे हैं, और आतंकवादी छुट्टे घूम रहे हैं, उन्हें सियासतदांओं की सरपरस्ती भी हासिल है। केवल पंजाब की जेलों में आज भी 438 पुलिस वाले बंद हैं, गुजरात की जेलों में भी यह गिनती बड़ी है। सो आतंकवाद से लड़ने के लिए जब तक जरूरी राजनैतिक इच्छाशक्ति का अभाव रहेगा, देश ऐसे ही चलता रहेगा।’

 
Feedback
 
Download
GossipGuru App
Now!!