बुध्ददेव को बुध्दत्व

October 11 2011


हार सिर्फ जख्म नहीं देते, सियासत को बदले परिदृश्य में देखने की अंतर्दृष्टि भी देते हैं, याद कीजिए ये वही बुध्ददेव भट्टाचार्य हैं वे जितने समय तक पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री रहे उनकी एक दिनचर्या कभी नहीं बदली, कोलकाता स्थित राइटर्स बिल्डिंग से ठीक डेढ़ बजे वे अपने घर के लिए रवाना हो जाते थे। घर का भोजन करने के बाद वे एक झपकी लेते थे और फिर से 4 बजे अपने दफ्तर वापिस आते थे। सो, कोई जरूरी मीटिंग हो या पार्टी की कोई अहम रैली अगर उसमें बुध्ददेव को रहना है तो वह या तो एक बजे से पहले होती थी या फिर चार बजे के बाद। पर हालिया चुनावी हार के बाद बुध्ददेव अपने पार्टी नेताओं व कार्र्यकत्ताओं के लिए हर समय उपलब्ध हैं, 1 से 4 के बीच भी।

 
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