बाज आएं शिवराज

November 14 2009


सतना की एक सार्वजनिक सजा में शिवराज के अंदर का राज (ठाकरे) जाग उठा और उन्होंने उन बिहारी मजदूरों के खिलाफ टिप्पणी जड़ दी जो उनके राज्य में मेहनत-मजदूरी करने आते हैं, वाह रे भैय्या शिवराज जब अपने राज्य से सांसद जिताने की बारी आती है तो नेता अन्य राज्यों से आयात करके लाते हैं, यानी स्थानीय लोगों के दुख-दर्द बयानी का जिम्मा बाहरी नेताओं का, और जो बिचारे बिहारी मेहनतकश अपने पसीने की हर बूंद से आपके सूबे का अक्स चमका रहे हैं वे गैर हो गए। और पवित्र नर्मदा की चोरी की रेत से अपने हाथ और सपनों को बदरंग करने वाले मुख्यमंत्री जी ने ऐसे बयानों के लिए समय क्या चुना है…जबकि झारखंड में चुनाव की प्रक्रिया जारी है… और अगले ही बरस बिहार में भी चुनाव होने वाले हैं विधानसभा के…यानी भाजपा की जड़ों में मट्ठा डालने की पूरी तैयारी है…और कहीं यह जाने-अनजाने कांग्रेस को फायदा पहुंचाने की एक सुविचारित नीति तो नहीं…अपने पुराने स्वयंसेवक की इस करतूत पर संघ वाले पर्दा न डालें तो ही बेहतर…।

 
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