बम-बम हैं वरुण

July 24 2010


न्यूयॉर्क, विएना व दक्षिण फ्रांस से छुट्टियां मना ताजा-ताजा स्वदेश लौटे वरुण गांधी के पास जब देर रात गए पार्टी अध्यक्ष नितिन गडकरी का फोन पहुंचा तब वे किंचित जेट-लैग में ही थे, क्योंकि उसी रात वे स्वदेश लौटे थे। जब अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष से मिलने वरुण पहुंचे तो भगवा गांधी ने पाया कि अध्यक्ष जी की भाव-भंगिमाएं किंचित बदली-बदली सी हैं और अध्यक्ष जी ने खुले आम स्वीकार भी किया कि वरुण ही यूपी में पार्टी के भविष्य हैं, पर इससे पहले कि भाजपा वरुण को अपने चचेरे भाई राहुल गांधी के ‘यूपी मिशन 2012’ से मोर्चा लेने के लिए मैदान में उतारे, यह युवा गांधी अभी थोड़ा इंतजार करना चाहते हैं, और प्रदेश में पार्टी संगठन को मजबूत करने के लिए अपना सारा जोर लगाना चाहते हैं। सो, अध्यक्ष जी ने वरुण के समक्ष विकल्प पेश किया कि वे चाहे तो बंगाल, ओड़ीसा या असम के चुनाव प्रभारी हो सकते हैं तो वरुण ने मौके की नजाकत को भांपते हुए असम का चुनाव किया, ऐसे समय में जबकि पार्टी के अन्य राष्ट्रीय सचिवों को मात्र सहप्रभार से संतोष करना पड़ रहा है (यथा सिध्दू, वाणी त्रिपाठी आदि) वहीं वरुण को राम प्रकाश त्रिपाठी, बंगारू लक्ष्मण जैसे पार्टी के सीनियर नेताओं के समकक्ष बतौर चुनाव प्रभारी चुना जाना पार्टी में उनके बढ़ते कद का परिचायक है।

 
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