बम-बम हैं मोदी

September 18 2011


नरेंद्र मोदी के हालिया अभ्युदय को स्वीकार करने में भले ही पार्टी के वयोवृध्द नेता लालकृष्ण अडवानी ने एक पल की भी देर नहीं लगाई हो, पर पार्टी अध्यक्ष नितिन गडकरी के लिए इसे खतरे की घंटी माना जा सकता है। पहली दफा है जब संघ ने भी मोदी से अपना पुराना वैमनस्य भुलाकर उन्हें मुक्तकंठ से स्वीकार करने की उदारता दिखाई है। वैसे अडवानी की बहुत पहले से यह मंशा रही थी कि वे गडकरी को उनका दूसरा टर्म नहीं लेने देना चाहते हैं। सो, जैसे ही संघ के अंदर से यह संकेत आने लगे कि मोदी पार्टी के अगले अध्यक्ष हो सकते हैं, अडवानी कैंप ने जोर-शोर से इसे मीडिया में प्रचारित करना शुरू कर दिया है, मोदी ने भी अब अपने उदारता के दर्शन दिखाने शुरू कर दिए हैं, इतने वर्षों में शायद उन्हाेंने पहली बार अपनी पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व से पूछा कि उत्तर प्रदेश चुनाव के मद में पार्टी को कितना पैसा चाहिए होगा, मोदी दिल व खजाना दोनों ही लुटाने को तैयार बैठे हैं। क्योंकि उन्हें मालूम है कि अगर यूपी में भाजपा का प्रदर्शन खस्ता-हाल रहा तो कांग्रेस उन्हें इतनी आसानी से छोड़ने वाली नहीं।

 
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