फटा ऑर्डिनेंस, निकला जीरो

September 29 2013


नई दिल्ली के प्रेस क्लब में शुक्रवार को देश ने कांग्रेस का सबसे बड़ा सियासी ड्रामा देखा, पर तालियां कम बजीं। सवाल कहीं ज्यादा उछला कि दागी नेताओं से संबंधित अपनी ही सरकार के ऑडिनेंस को बकवास करार देने वाले युवराज ठीेक से बता नहीं पाए कि इसकी हर मीटिंग में शरीक रह कर भी उन्हें तब यह ब्रह्मïज्ञान क्यों नहीं प्राप्त हुआ? ऐन वक्त जबकि चारा घोटाले में 5 से 10 साल तक जेल जाने का खतरा लालू यादव के सिर मंडरा रहा है तो चारा कांड में कालांतर में उनके वकील रह चुके कपिल सिब्बल को यह नायाब आइडिया सूझा और उन्होंने इस ऑर्डिनेंस की ड्राफ्टिंग में अपनी सारी काबिलियत झोंक दी और कैबिनेट से ऑर्डिनेंस पास हो गया। यानी सुप्रीम कोर्ट की भावनाओं को धता बताते हुए नए ऑर्डिनेंस में नई व्यवस्था कायम की गई कि निचली अदालत यहां तक कि हाई कोर्ट से भी दोषी करार दिए जाने पर यह ऑर्डिनेंस ऐसे दागी नेताओं को स्टे देगा अर्थात उनकी संसद सदस्यता डिस्क्वालिफाई नहीं होगी, यानी वे सदन में आएंगे सिर्फ अपनी सैलरी नहीं ले पाएंगे, वोट नहीं दे पाएंगे पर अगला चुनाव लड़ पाएंगे। जबकि सुप्रीम कोर्ट का ‘प्रीवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट’ में साफ मानना है कि कन्विकशन पर स्टे नहीं हो सकता। सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी थी कि सजा होने पर सांसद की सदस्यता जाती रहेगी और वह अगला चुनाव नहीं लड़ पाएंगे।

 
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