फंडा जेपीसी का |
January 03 2011 |
संसद का बजट सत्र सिर पर है, चुनांचे संसद में चल रहे गतिरोध को लेकर अब सरकार गंभीर दिख रही है। लोकसभा स्पीकर मीरा कुमार की सक्रियता भी सरकार की इसी सोच को दर्शाती है, लोकसभा स्पीकर के चैंबर में जब अडवानी व नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज प्रणव मुखर्जी से बतिया रहे थे तो अचानक प्रणव दा के मुंह से निकला-‘सुषमा जी, आखिर जेपीसी मिलने से आपका क्या फायदा हो जाएगा?’ तो सुषमा का त्वरित जवाब हाजिर था-‘कम से कम संसद चल जाएगी’ इस पर बगले झांकते दिखे प्रणव दा। सुषमा ने मामले को तनिक संभालते हुए प्रणव मुखर्जी से जानना चाहा कि आखिरकार जेपीसी (संयुक्त संसदीय कमेटी) में बुराई क्या है? एनडीए शासनकाल में जब कांग्रेसनीत विपक्ष ने पेप्सी-कोक के मुद्दे पर जेपीसी की मांग की थी तो भाजपा केवल दस मिनट में जेपीसी पर सहमत हो गई थी, तब भाजपा ने सोनिया गांधी से आग्रह भी किया था कि इस जेपीसी को चेयर वह करें, जबकि मान्य परंपराओं के मुताबिक जेपीसी को चेयर करने का हक सत्ताधारी दल के पास ही होता है। तब कांग्रेस ने फैसला करके अपनी ओर से शरद पवार का नाम आगे किया था, संसदीय इतिहास में तब पहली बार किसी विपक्षी नेता ने जेपीसी को चेयर किया था, लिहाजा सुषमा अपने चिरपरिचित प्रखर अंदाज में प्रणव समेत सत्ताधारी दल के नेताओं से बस यही जानना चाहती थी कि अगर तब जेपीसी गलत नहीं थी तो आज कांग्रेस को जेपीसी की मांग इतनी गलत क्यों लग रही है? |
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