पीएम के दम से फेरबदल

April 01 2011


आपने संसद का बजट सत्र स्थगित होने से पहले नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज से मोर्चा लेते एक नए किस्म के आत्मविश्वास से लबरेज प्रधानमंत्री को शेर पढ़ कर कागजी शेर बनते तो देखा ही होगा। मामूली सियासत समझने वाले लोग भी अब इतना तो समझ ही गए हैं कि मनमोहन सिंह दस जनपथ की छाया से बाहर निकलने की आकुलता में है। और केंद्रीय मंत्रिमंडल का आगामी फेरबदल इसी आकुलता के नाम हो सकता है। यह फेरबदल अप्रैल अंत में हो सकता है या मई में 5 राज्यों के चुनावी नतीजे घोषित होने के बाद भी। कानून मंत्रालय के लिए सबसे ज्यादा लोग कतारबध्द हैं, मसलन-कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी, सलमान खुर्शीद, अश्विनी कुमार, पवन बंसल आदि। सोनिया इस पद के लिए कपिल सिब्बल को उपयुक्त मानती हैं तो प्रधानमंत्री अश्विनी कुमार को चाहते हैं। पर बिचारे एक सिब्बल सरकार उनके जिम्मे आखिर क्या-क्या दे, मानव संसाधन व टेलिकॉम तो पहले से ही वे देख रहे हैं। नाम तो गुलाम नबी आजाद का भी चला, पर राडिया टेप्स खुलासे के बाद से उनके नाम पर किंचित संकट है। सबसे सक्रिय तो अपने पवन बंसल साहब हो गए हैं, संसद और संसद के बाहर, उनकी कई सुप्तप्राय: महत्त्वाकांक्षाएं भी जैसे अब बाहर निकल आई हों।

 
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