परजीवी मांगे बुध्दिजीवी

November 21 2009


जिस कार्यक्रम से भागवत व संघ की सबसे ज्यादा किरकिरी हुई थी वह रामलीला मैदान वाला प्रोग्राम था, जहां कुर्सियां तो 6 हजार लगी थी, पर भागवत की उस मीटिंग में मात्र 74 लोग उपस्थित थे। जब उस कार्यक्रम की रूपरेखा बनी तो भागवत किंचित कुछ ज्यादा ही जोश में थे, तो उन्होंने पार्टी पदाधिकारियों के लिए यह आदेश जारी कर दिए थे कि किसी भी पदाधिकारी को 4 से ज्यादा पास नहीं दिए जाएंगे। उस पर भी तुर्रा यह था कि सभा में मौजूद 6 हजार कुर्सियां भी महज बुध्दिजीवियों के लिए थीं, स्वयंसेवकों को तो या खड़े रहना था या फिर जमीन पर बैठना था। अब कोई संघ प्रमुख को बताए जरा कि क्या दिल्ली में भी 6 हजार बुध्दिजीवियों का वास है? और अगर है भी तो उनका नजरिया ‘राइट वालों’ के लिए इतना राइट भी नहीं है।

 
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