पंक में पंकज

June 04 2013


प्रधानमंत्री के मीडिया सलाहकार पंकज पचौरी को लेकर सीनियर पत्रकारों खासकर भाषायी पत्रकारों का रोष बढ़ता जा रहा है। प्रधानमंत्री के साथ उनके विदेश दौरे में साथ जाने वाले पत्रकारों को पचैरी का निरंकुश व्यवहार रास नहीं आ रहा है। इनकी मानें तो पचौरी का आचरण ‘शासक मनोवृत्ति’ से ग्रस्त है। जहां पीएम के पूर्र्ववत्ती मीडिया सलाहकार हरीश खरे पत्रकारों के साथ उन्हीं के होटल में ठहरते थे, वहीं पचौरी पीएम के साथ उन्हीं के होटल में ठहरते हैं। खरे पीएम के विदेश दौरों में कम से कम चार दफे साथ गए पत्रकारों से संवाद स्थापित करते थे फ्लाइट में आते-जाते, साथ ही पत्रकारों के साथ उनके होटल में ठहरकर। वहीं पचौरी अपने चंद खास मुंहलगे अंग्रेजी के पत्रकारों को ही तरजीह देते हैं। भाषायी खासकर हिंदी के पत्रकारों को लेकर उनका रवैया दोयम दर्जे का है। इससे पहले भी पचौरी ने एक प्रमुख समाचार एजेंसी एएनआई को उनकी एक छोटी सी गलती के लिए बैन कर दिया था। बाद में प्रधानमंत्री के निजी दंखल के बाद यह मामला निपटा। हालांकि पचौरी को प्रधानमंत्री कार्यालय के सबसे प्रभावशाली नौकरशाह पुलक चटर्जी व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन का आशीर्वाद प्राप्त है। फिर भी पचौरी की निरंकुश कार्यशैली की वजह से पीएम का प्रचार कम उनका दुष्प्रचार कहीं ज्यादा हो रहा है।

 
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