| दादा का गुस्सा |
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December 17 2010 |
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संसद का वर्तमान शीतकालीन सत्र शायद 13 दिसंबर से अनिश्चित काल के लिए स्थगित हो जाए, पर यदि ऐसा हो भी जाता है तो एक तरह से यह कांग्रेसी मैनेजरों की हार ही है, क्योंकि संसद के मौजूदा सत्र में 2जी स्पेक्ट्रम पर जेपीसी की मांग पर वे विपक्षी एकता को तोड़ पाने में नाकाम साबित हुए। क्या यही कारण है कि आज कल प्रणबदा को गुस्सा बहुत आ रहा है। सो विपक्षी नेताओं के साथ हुई बैठक में जब कोई नतीजा नहीं निकल पाया और विपक्षी दल जेपीसी की मांग पर ही अड़े रहे तो एकबारगी गुस्से से भभक उठे प्रणबदा, तिलमिला कर बोले-‘मैं भी देखता हूं कि कब तक अड़े रहोगे आप!’ जब मीटिंग से दादा बाहर निकल रहे थे तो एक प्रमुख विपक्षी नेता ने दादा को सलाह दी कि ‘अगर आप को सचमुच विपक्षी एकता तुड़वानी थी तो जेपीसी की मांग होते ही संसद को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर देना चाहिए था, जिससे न आपस में विपक्षी दलों के नेता मिल पाते और न ही विरोध के इतने समवेत स्वर गा पाते।’ |
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