तुसी ग्रेट हो अमरीका जी!

March 07 2010


अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और हमारे राष्ट्र के सिरमौर मनमोहन सिंह की मुलाकात के जो लोग साक्षी रहे हैं वे शायद ही इस बात को भूल पाएं कि हमारे प्रिय प्रधानमंत्री किस कदर अमरीकी प्रेम में आकंठ डूबे हैं, सिकंदर की कैद में पोरस ने उनसे कहा था कि ‘उनके साथ वही व्यवहार किया जाए जैसा कि एक राजा दूसरे से करता है…।’ पर अपने राष्ट्र का दुर्भाग्य देखिए हमारे प्रधानमंत्री ओबामा के ओज में इस कदर डूबे थे कि हर दूसरे वाक्य में अनुग्रह की चाशनी में लिपटा उनका स्वर बारंबार सामने आ रहा था…सर…सर, जैसे एक मातहत अधिकारी अपने हुजूर की हाजिरी बजा रहा हो। यूपीए द्वितीय काल में अब तो खुलकर प्रधानमंत्री अपना अमरीकी प्रेम जाहिर कर रहे हैं और वरिष्ठ काबीना मंत्रियों में तो जैसे महाबली अमरीका को खुश करने ही होड़ मची हो। चुनांचे पी.चिदंबरम हो, कपिल सिब्बल, मुरली देवड़ा, आनंद शर्मा, शशि थरूर , जयराम रमेश, पृथ्वीराज चौहान सरीखे मंत्री दे दनादन अमरीकी एजेंडे को आगे बढ़ा रहे हैं। सबसे हैरत की बात तो यह कि एक अमरीकी कंपनी जीएम फूड्स की सरपरस्ती बनाने रखने के लिए प्रधानमंत्री के निर्देश पर उनके मातहत पृथ्वीराज चौहान विज्ञान व प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सौजन्य से एक ‘बॉयोटेक रेग्युलेटरी बिल’ लाने जा रहे हैं जिसके तहत अगर कोई भारतीय नागरिक जीएम फूड्स या उनकी दवाईयों की बाबत कोई सवाल पूछेगा तो उसे अपने देश में छह महीने की सजा मुर्करर हो सकती है। यानी एक और आपातकाल की दहलीज पर खड़े हैं हम और प्रमुख विपक्षी पार्टी नाच-गान में मग्न है, जब रोम जल रहा था तो नीरो बंसी ही तो बजा रहा था। तुसी ग्रेट हो गडकरी जी। और आपसे भी ग्रेट है आपकी मिरासी सेना!

 
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