तिवारी के बाद किसकी बारी

October 06 2010


आखिरकार मुख्य सूचना आयुक्त यानी चीफ इन्फॉरमेशन कमिश्नर के नाम पर सहमति नहीं बन पाई। कल वजाहत हबीबुल्लाह इस पद से रिटायर हो गए और उनकी जगह सीआईसी बने अनिरूध्द नारायण तिवारी का कार्यकाल महज 2 महीने 12 दिन का होगा। नए सीआईसी को लेकर स्वयं सरकार के अंदर सहमति नहीं बन सकी। पीएम और सरकारी तंत्र किसी रिटायर्ड आईएएस को इस पद पर लाना चाहता था, पर सोनिया गांधी का वरदहस्त प्राप्त राष्ट्रीय सलाहकार परिषद इस पद पर सिविल सोसाइटी के किसी व्यक्ति को बिठाने की पक्षधर थी। इस परिषद में अरुणा रॉय और हर्ष मंदर का बड़ा दबदबा है, रॉय मानती हैं कि आरटीआई देश को उन्हीं की देन है। आरटीआई का कार्य ही सरकारी तंत्र को बेनकाब करना है, जबकि कोई आईएएस आम तौर पर ऐसे मसलों को ढंक देता है। ऐसे में नए सीआईसी के लिए अंसारी का नाम उभर कर सामने आया था, पर अंसारी के नाम का विरोध स्वयं हबीबुल्लाह कर रहे थे, साथ ही नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज भी अंसारी को बनाए जाने के खिलाफ थीं, ऐसे में तिवारी को सुपर सीड कर मात्र 2 महीने 12 दिन के लिए बनाया गया है, पर यक्ष प्रश्न अब भी जस का तस है कि फिर देश का अगला सूचना आयुक्त कोई रिटायर्ड आईएएस होगा या सिविल सोसाइटी का कोई नुमांइदा? अब यह फैसला दस जनपथ को लेना है।

 
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