जयराम का मुकाम |
August 29 2010 |
वेदांता को आज जरूरत है अपने लिए एक मुफीद पीआर कंपनी की, क्योंकि पहले जो पीआर कंपनी वेदांता का काम देखती थी उसे एक बेहद आकर्षक फीस पर मुकेश अंबानी ने हायर कर लिया। वैसे भी वेदांता परियोजना को जयराम रमेश से सिर्फ इसीलिए हरी झंडी नहीं मिल पाई क्योंकि कांग्रेस का मानना है कि अनिल अग्रवाल भाजपा के ज्यादा करीबी हैं, जबकि मौजूदा गृह मंत्री पी.सी. चिदंबरम पहले इस कंपनी के बोर्ड में लंबे समय तक डायरेक्टर रह चुके हैं। जयराम को यह भी पता था कि राहुल गांधी आदिवासियों के बीच ओड़ीसा जा रहे हैं, सो युवा गांधी को आदिवासियों का घोषित मसीहा बनवाने में वे अपनी भी कोई भूमिका चाहते थे। कांग्रेस और अंबानी कनेक्शन पहले से जगजाहिर हैं, चुनांचे कोई भी कांग्रेसी मंत्री इस भावना के विपरीत कभी कैसे कार्य कर सकता है? |
Feedback |