जगन व गंगावरम का क्या है रिश्ता?

September 18 2011


गंगावरम पोर्ट का मामला फिर से गर्माने वाला है, समझा जाता है कि इसी मसले पर पूर्व स्टील मंत्री वीरभद्र सिंह की कुर्सी चली गई थी। क्योंकि गंगावरम पोर्ट को परमानेंट करने की मुहिम उनके वक्त ही शुरू हुई थी और बोर्ड ने भी बकायदा इसके 15 साल का एग्रीमेंट स्वीकृत कर दिया था। पर लगता है निवर्तमान मंत्री अपने पूर्ववर्ती मंत्री की रुखसती से कोई सबक नहीं सीखा है, वे भी उपकृत होने को तैयार हैं यानी गंगावरम को उनकी स्वीकृति किसी भी पल मिल सकती है। आखिर गंगावरम से कांग्रेस आलाकमान की इतनी नाखुशी का राज क्या है? जबकि इसका उद्धाटन राजशेखर रेड्डी के मुख्यमंत्रित्व काल में स्वयं सोनिया गांधी के करकमलों से हुआ था। सूत्र बताते हैं कि इस पोर्ट में जगन मोहन रेड्डी का एक बड़ा शेयर है, जिसकी रखवाली उनके फ्रंटमैन डी.वी.एस.राजू करते हैं। वैसे भी विशाखापत्तनम में ही एक और बंदरगाह है काकीनाडा, पर यहां 50 हजार टन से कम वजन के मालवाहक जहाज आ सकते हैं, जबकि गंगावरम पोर्ट केप साइज (50 हजार टन से डेढ़ लाख टन) जहाज के ज्यादा उपयुक्त है। गंगावरम को स्थायी करने की योजना लंबे समय से चल रही है पर अब तक कोई केंद्रीय मंत्री इस पर अपनी स्वीकृति की मुहर नहीं लगा पाया है अब मंत्री जी यह घृष्टता करने को तत्पर हैं तो कोई क्या करे?

 
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