जगन क्यों नाराज हैं भाजपा से? |
May 23 2011 |
इंसानी मौन को उन्होंने बस एक किताब समझ रखा है, पढ़ा है उसे अब तलक एक मर्सिया की तरह, पर यह तो केंचुल के भीतर छुपी एक नपुंसक आकांक्षा है, फन उठाने भर की देर है, फैल जाएगा जहर नस-नस में… यह जनाब भाजपा के एक शीर्ष पुरुष के लिए बड़ी-बड़ी डील फिक्स करते हैं, सान मुंबई के हैं, जलवा दिल्ली में हैं, जड़ें पूरे हिंदुस्तान में। जनाब संकटमोचक हैं, हर बड़े-बड़ों को उबारने में इनका सानी नहीं। एक दिन ये सीधे जगन मोहन रेड्डी के पास जा पहुंचे, उन्हें विश्वास दिलाया कि वे उन्हें (जगन को) तमाम तरह के केसों से निजात दिला सकते हैं, खासकर इंकम टैक्स के मामलों में। जगन ने कहा कि ‘मेरे केस के कुछ प्रूफ लेकर आओ’, जवाब में जनाब पूरी फाइल लेकर आ गए। जगन ने इस फाइल को अपने वकीलों को सौंप दिया, वकीलों ने बताया कि यह पूरी फाइल ही फर्जी है, यहां तक कि विभागों के लेटरहेड भी जाली हैं। लिहाजा कल तक जो जगन भाजपा के प्रति इतना सॉफ्ट दिखते थे, अब उसका नाम सुनते ही उखड़ जाते हैं। |
Feedback |