चिदंबरम को यही गम है

April 03 2011


चिदंबरम बेतरह नाराज हैं पाक पर पीएमओ की पहल से। इसीलिए वे बुधवार को मोहाली आने के बजाए चैन्नई चले गए, चुनाव प्रचार की आड़ में। प्रणब मुखर्जी भी इस पहल से नाखुश बताए जा रहे हैं इसीलिए उन्होंने भी मोहाली जाने के बजाए सीधे गुवाहाटी की फ्लाइट पकड़ ली। चूंकि गिलानी के मंत्रियों के जत्थे में वहां के गृह मंत्री भी शामिल थे, सो प्रोटोकॉल के लिहाज से चिदंबरम का वहां मौजूद रहना और भी जरूरी था, पर पीसी अपनी नाराजगी को सार्वजनिक रूप देना चाहते थे, इसीलिए उन्होंने चैन्नई की फ्लाइट पकड़ ली। जबकि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री गिलानी के साथ जो सात मंत्रियों का दल आया था, वे सभी अलग-अलग पार्टियों से थे। चिदंबरम से उलट प्रधानमंत्री की राय थी कि ‘हम एक विशाल राष्ट्र है चुनांचे हमें छोटी-छोटी बातों को भुलाकर फराख दिली का परिचय देते हुए पड़ोसियों से मिलना चाहिए।’ इस पूरे मामले में विदेश मंत्रालय को अंधेरे में रखा गया था, गिलानी को आमंत्रण भी प्रधानमंत्री की ओर से मिला था, और मामले में सारी पहल भी पीएमओ ही कर रहा था, ऐसे में एस.एम.कृष्णा का नाराज होना भी बनता है। पर मनमोहन को इन बातों की फिक्र नहीं, पाकिस्तान से उनकी यादें जुड़ी हैं, वे इसीलिए भी खुश थे कि गिलानी ने अपने प्रतिनिधिमंडल में केवल मंत्रियों को शामिल किया था, किसी नौकरशाह को साथ लाए ही नहीं थे, सो बातचीत का ब्यौरा या नोट तैयार करने वाला भी कोई नहीं था, चुनांचे गिलानी ने भी मन व दिल खोल कर बातें की और मनमोहन का दिल तो पहले से ही खुला हुआ था।

 
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