चावला का मामला

December 10 2009


सीबीआई और अब आईबी की पूछताछ का निशाना बने अंकुर चावला पहले पतली गली से सिंगापुर निकल गए थे, पर उनके असरदार पिता संपादक ने कुछ ऐसा सियासी रसूख सजाया और बड़े अंबानी के मार्फत एक बड़े विधि पद पर आसीन व्यक्ति को कुछ ऐसा मैनेज किया गया कि अंकुर को भरोसा जगा है कि फिलहाल इस रिश्वत खोरी मामले में उनकी गिरफ्तारी नहीं होगी। पर बकरे की अम्मा कब तक खैर मनाएगी? और अब अंकुर इस बात से साफ इंकार कर रहे हैं और कह रहे हैं कि इस बात का कोई पुख्ता सबूत नहीं कि कंपनी सचिव बांठिया को उन्होंने ही पैसे दिए हैं। सीबीआई उत्तर प्रदेश के एक प्रमुख हिंदी अखबार समूह के कंपनी सचिव को पहले ही दबोच चुकी है जिनका लिखित दस्तावेज उपलब्ध है कि उन्होंने इस केस में खर्च करने के लिए कंपनी अकाऊंट से 10 लाख रुपयों की निकासी की थी। सीबीआई के बाद आईबी के अधिकारीगण चावला का बयान दर्ज कर रहे हैं और बदली परिस्थितियों इस बात के संकेत मिल रहे हैं कि इस पूरे मामले में कई बड़ी मछलियां भी फंस सकती हैं।

 
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