क्यों गए खरे?

January 24 2012


प्रधानमंत्री के पूर्व मीडिया सलाहकार हरीश खरे का जाना वस्तुत: हिंदी व अन्य क्षेत्रीय मीडिया की विरोध की वजह से था। उनकी बार-बार यह शिकायत आ रही थी कि खरे बेहद अंग्रेजी दां हैं, अड़ियल हैं व हिंदी तथा भाषायी पत्रकारों को तरजीह नहीं देते हैं। दस जनपथ बनाम सात रेस कोर्स की लड़ाई सार्वजनिक होने से और आए दिन इसके बारे में खबरें छपने से पीएम का खरे से पहले ही मोहभंग हो चुका था। सो, जब खरे से यह कहा गया कि अब वे पुलक चटर्जी को रिपोर्ट करें तो इसके लिए खरे राजी नहीं हुए। उनकी जिद थी कि वे बस पीएम को ही रिपोर्ट कर सकते हैं। तो ऐसे में उनके स्थानापन्न की तलाश शुरू हो गई। नाम तो प्रणय रॉय, भारत भूषण, आलोक मेहता, विनोद शर्मा आदि के चल रहे थे पर इन पत्रकारों की भी यही जिद थी कि वे पुलक को रिपोर्ट नहीं करेंगे।

 
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