कोयला के कारे

June 04 2012


कोयला मामले पर पलटवार के लिए कांग्रेस खुद को तैयार कर रही है, चूंकि इस मामले में प्रधानमंत्री की कथित ईमानदार छवि की खूब ऐसी-तेसी हो चुकी है। सो सबसे पहले कांग्रेस को बलि के बकरों की तलाश है, ऐसे में दो नाम सामने आ रहे हैं, टी.के.ए.नायर और संतोष बागड़ोदिया। इसके अलावा कांग्रेस इस बात का डॉसियर तैयार करने में जुट गई है कि कोयला खुदाई के निजीकरण की पहल पहले कब हुई, यानी इस पूरे मामले को एनडीए के जमाने से जोड़कर देखा जा रहा है जब उमा भारती व शाहनवाज हुसैन कोयला मंत्री थे, कांग्रेसी मैनेजर कहते हैं कि पहला कोल फील्ड तो एनडीए के जमाने में एक औद्योगिक घराने को स्वीकृत किया गया था। इसके अलावा कांग्रेस इस कोयला घोटाला के लाभार्थियों की सूची भी तैयार कर रही है, इस सूची में दो नाम बड़ी प्रमुखता से उभर कर सामने आए हैं, मोनेट इस्पात के जजोरिया व झारखंड पॉवर कॉरपोरेशन जैसे उपक्रम चलाने वाले अनिल अंबानी। सनद रहे कि अनिल ने अपने तमाम बिजली उत्पादक यूनिटों के नाम ऐसे रखे हैं जो सरकारी कंपनी होने का भ्रम पैदा करती हैं।

 
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