कैसे हुई एफडीआई की विदाई |
December 11 2011 |
जब लगातार 7 दिनों तक संसद नहीं चली तो प्रणब मुखर्जी ने मान लिया कि अब टूटकर कोई नहीं आएगा। विपक्ष तो वोटिंग के बगैर मानेगा नहीं। ऐसे में रही-सही कसर ‘बंद’ ने पूरी कर दी। कांग्रेस के अंदर ही विद्रोह सुलगने लगा था। 5 राज्यों में अभी विधानसभा चुनाव होने हैं और हर राज्य में 15 फीसदी वोट व्यापारियों के हैं जो खुदरा क्षेत्र में एफडीआई के विरोध में राग अलाप रहे थे। सो, सरकार ने तय किया कि तब तक एफडीआई के मुद्दे को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाए जब तक कि इस मुद्दे पर स्टेक होल्डर्स में सहमति नहीं बन जाती है। स्टेक होल्डर्स यानी ट्रेड यूनियनें, राज्य सरकारें और राजनीतिक पार्टियां। |
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