कुर्सी की मिजाज पुर्सी

December 20 2009


वैचारिक भटकाव के धुप्य अंधरों से बाहर निकल कर अपने चाल, चरित्र व चेहरे की रफ्फूगिरी को तत्पर भगवा पार्टी में परिस्थिति-जन्य मजबूरियों को स्वीकार करने की कुलबुलाहट साफ पढ़ी जा सकती है, मौजूदा संसदीय सत्र के बाद लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष के पद को अलविदा कह सकते हैं अडवानी, पर जाते-जाते वे पार्टी के भविष्य पर कई बोसीदा कील जड़ जाना चाहते हैं, जड़वत हो गई पार्टी को सन्निपात के सदमे से बाहर निकालने की अकुलाहट के बावजूद अपनी नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी को तनिक कुतरने के बाद ही आगे का सियासी सफर तय करेंगे अडवानी। यानी अडवानी ने अपने नई ताजपोशी के लिए साफ बिसात बिछा दी हैं और अब इस सियासी शह-मात के खेल में वे पार्टी संसदीय बोर्ड के चेयरमैन पद पर काबिज हो जाएंगे। यानी कुर्सी के एवज में कुर्सी ही चाहिए अडवानी को।

 
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