किस जमीं की आसमां है सोनिया ! |
November 14 2010 |
‘…देखा था जिसे मैंने कोई और था शायद वह कौन था जिससे तेरी सूरत नहीं मिलती।’ सहज यकीन नहीं होता कि यह वही सोनिया गांधी हैं जो मामूली से कांग्रेसी कार्र्यकत्ताओं से बतियाने के लिए किंचित भी एसपीजी घेरे की परवाह नहीं करती थीं, पर पिछले दिनों जो दिखा वह बदलती सियासत और बदलते सियासतदां की असली बयानी थी, दिल्ली में आहूत हुए कांग्रेस के एक दिवसीय अधिवेशन के बाद सोनिया गांधी के आवास दस जनपथ पर कांग्रेसी नेताओं का ‘फोटो सेशन’ था, सो कांग्रेस का हर अदना-सा नेता भी हवाओं के हिंडौलों पर सवार था, ताजा-ताजा हजामत बनवा कर आए थे, नहाए-धुलाए, कपड़े भी नए, भंगिमाएं भी नई, हाथों में मैडम के लिए गिफ्ट, आंखों में चमक, होठों से लरजती मुस्कान। पर जैसे ही यह फोटो सेशन का दौर शुरू हुआ उनके उछाल मारते उत्साह पर जैसे मनों घड़े पानी फिर गया हो, मामूली नेताओं ने पाया कि उनके और सोनिया गांधी के बीच उनके सुरक्षाकर्मियों ने एक रस्सी बांध दी है, रस्सी के एक तरफ सोनिया गांधी और दूसरी तरफ फोटो खिंचाने के इच्छुक अभ्यर्थी, इस विभाजक रेखा को लांघने की इजाजत बस कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्षों को थी, बाकी के कांग्रेसी नेता तो बस विभाजक रेखा के सियासी रुखेपन से बेजार होते रहे,’…बुलंद हैं तो इसका यह मतलब नहीं कि गैर भी हैं जमीं के लिए ही तो आसमां होता है।’ |
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