…और अंत में |
July 03 2011 |
खाना बदोशों की तरह भटकते ये लफ्ज, भट्ठी में धधकते ये विचार, जो पिछले 11 वर्षों से पाठकों को हर हफ्ते कुछ नया सोचने को मजबूर करते हैं, आपका चहेता ‘मिर्च मसाला’ कॉलम आने वाले दो-तीन हफ्तों की छुट्टी चाहेगा, इतने वक्त देश से बाहर रह कर भी हर पल आपके ख्यालों में शरीक रहूंगा। जुलाई में फिर होगी मुलाकात! तब तक के लिए विदा! |
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