उत्तराखंड में खेल फिक्सिंग का |
January 14 2012 |
लगता है उत्तराखंड में भाजपा व कांग्रेस के बड़े नेताओं के बीच एक सांठ-गांठ हो गई है, बतर्जे ‘तुम मेरी खुजलाओ, मैं तुम्हारी खुजलाता हूं’ सो कोई भी बड़ा नेता सामने वाली पार्टी के बड़े नेता के खिलाफ चुनाव नहीं लड़ना चाहता, कमाल की बात तो यह है कि ये वही नेतागण हैं जो खम्म ठोंककर खुद को मुख्यमंत्री पद का दावेदार साबित करने पर तुले हैं। मसलन उत्तराखंड कांग्रेस के सबसे प्रमुख नेता हरक सिंह रावत की परंपरागत सीट लैंस डाउन थी, पर वहां उत्तराखंड रक्षा मोर्चा के टीपीएस रावत के मैदान में आ जाने से उन्होंने दोईवाला का रुख कर लिया, पर वहां भूले भटके निशंक आ टपके। अब रावत निशंक से भी नहीं भिड़ना चाहते थे सो वे दबे पांव रुद्रप्रयाग चले गए। दिलचस्प तो यह है कि हरक सिंह के खिलाफ भाजपा ने जो अपना उम्मीदवार रुद्रप्रयाग में उतारा है, वे मतबार सिंह कंडारी हरक सिंह के नजदीकी रिश्तेदार हैं। रावत व कंडारी रिश्ते में जीजा-साले हैं। वैसे ही मुख्यमंत्री भुवनचंद खंडूरी के खिलाफ कांग्रेस ने कोटद्वार में कमजोर उम्मीदवार उतारा है, सतपाल महाराज की पत्नी अमृता रावत कहते हैं भाजपा की मर्जी से रामनगर आई हैं, बाज की तेज नजर वाले यशपाल आर्य का बाजपुर आना भी कुछ ऐसी ही दास्तांबयानी करता है। |
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