आम आदमी के राष्ट्रपति

August 26 2013


प्रणब मुखर्जी भले ही रायसिना हिल्स तक पहुंच गए हों पर उन्हाेंने आम हिंदुस्तानियों के लिए अपने दिल, दिमाग व राष्ट्रपति भवन के दरवाजे खुले रखे हुए हैं, वे अपनी इमेज आम आदमी के राष्ट्रपति के तौर पर बनाना चाहते हैं, जैसा कि कालांतर में डा.ए.पी.जे अब्दुल कलाम ने किया। भारतीय नौसेना का एक दक्ष सेलर जो गोवा से मुंबई तक की यात्रा तय कर आया था वह नौसैनिकों के सम्मान में मुंबई में एक समारोह रखना चाहता था, वह चाहता था कि नौसेना प्रमुख के हाथों वे चंद बहादुर नौसैनिकों को पुरस्कार दिलवाये, पर नौसेना प्रमुख के दफ्तर की ओर से मनाही आ गई, फिर उस सेलर ने वॉयस एडमिरल को संपर्क किया पर वहां से भी ना सुनने को मिली, फिर उसने राज्य के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण के सीएम कार्यालय से संपर्क साधा, पर मुख्यमंत्री ने भी अपनी व्यस्तता का हवाला देते हुए कार्यक्रम में शामिल होने से मना कर दिया। फिर अचानक उसने यूं ही माननीय राष्ट्रपति को खत लिख डाला, राष्ट्रपति फौरन उस कार्यक्रम में आने को तैयार हो गए। अब प्रोटोकाल के हिसाब मुंबई में आयोजित उस प्रोग्राम में नौसेना प्रमुख से लेकर राज्य के मुख्यमंत्री तक को उपस्थित रहना पड़ा।

 
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