यह रिश्ता क्या कहलाता है |
October 13 2014 |
नरेंद्र मोदी की राजनीति की थाह पाना कतई इतना आसान नहीं, वे महाराष्ट्र के अपने चुनावी अभियान में यह खटराग उछालते हैं कि बाला साहेब से अपनी पुरानी दोस्ती का सम्मान करते हुए वे शिवसेना के खिलाफ एक शब्द नहीं बोलेंगे, वहीं उनके करीबी सेना पर निशाना साधने में किसी प्रकार की चूक नहीं कर रहे। मोदी से जुड़े सूत्र बताते हैं कि यह बात 2002 की है, जब मुंबई स्थित गुजराती समाज और भाजपा की प्रदेश इकाई ने मोदी को मुंबई आमंत्रित किया था, और तब पूरे मुंबई में मोदी की बड़ी फोटो के साथ ‘हिंदू हृदय सम्राट’ का पोस्टर लगाया गया था। यह बात कथित तौर पर बाला साहेब ठाकरे को रास नहीं आई। उन्होंने भाजपा के तब एक बड़े नेता प्रमोद महाजन को तलब कर उनसे यह शिकायत की और रातों-रात पूरी मुंबई से मोदी के पोस्टर हटा लिए गए। जाहिर है किसी और नेता को ‘हिंदू हृदय सम्राट’ का तमगा ठाकरे को तब रास नहीं आया होगा। मोदी व ठाकरे के बीच कड़ुवाहट के यह बीज अंकुरित होते रहे, जिसकी परिणति ठाकरे द्वारा सुषमा स्वराज को एनडीए की ओर से प्रधानमंत्री पद का बेहतर च्वॉइस ठहराना था। कुछ तो रहा ही होगा मोदी के मन में जो वे 2012 में ठाकरे की मौत के बाद उनकी अंत्येष्टि में भी शामिल नहीं हुए। यानी भाजपा-सेना गठबंधन की 25 साल पुरानी दोस्ती में दरार कहीं पहले आ चुकी थी और ‘हिज मॉस्टर व्हॉइस’ अमित शाह ने ताबूत में बस आखिरी कील ही ठोकें हैं। |
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October 13th, 2014
The Shiv Sena has been AGAINST separation of Vidarbha from Maharashtra. The BJP and the Congress are for or pro according to the current situation