क्या येदुरप्पा की वापसी होगी?

December 27 2015


बिहार की अप्रत्याशित हार ने मोदी को अपनी रणनीति बदलने को मजबूर कर दिया है, नहीं तो अपने राजनैतिक अभ्युदय के पहले चरण में वे सिर्फ साफ-सुथरे चेहरों पर ही दांव लगाना चाहते थे, चाहे वे क्षेत्रीय क्षत्रप आधारहीनता के तिराहे पर ही क्यों न खड़े हों, मसलन हरियाणा में मनोहरलाल खट्टर, महाराष्ट्र में देवेंद्र फड़नवीस, झारखंड में रघुवर दास। पर सूत्र बताते हैं कि अब आगे की राजनीति में जिताऊ चेहरों पर ही दांव लगाने का मोदी का इरादा है, इस कड़ी में सबसे अहम कर्नाटक में लिंगायतों के सबसे बड़े नेता बीएस येदुरप्पा हैं, जो हाल में ही हाईकोर्ट द्वारा आपराधिक मामलों से बरी कर दिए गए हैं। कर्नाटक के आने वाले 2018 के विधानसभा चुनाव में मोदी- शाह की जोड़ी येदुरप्पा पर दांव लगाने को तैयार जान पड़ती है। क्योंकि पिछले दो चुनावों में येदुरप्पा के बगैर भगवा पार्टी को कर्नाटक में मुंह की खानी पड़ी है। इस वक्त कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार है, इस सरकार से यहां की जनता खासी नाराज़ नजर आती है, कर्नाटक की राजनीति में एक और प्रमुख ताकत देवेगौड़ा की जेडी एस भी टूट की कगार पर है, पार्टी के कई नेता दल बदल को तैयार है। सूत्र बताते हैं कि पिछले दिनों मोदी ने अपनी कैबिनेट मंत्री और पार्टी के वरिष्ठ सहयोगी अनंत कुमार को दो टूक लहज़े में समझा दिया है कि अब अनंत कर्नाटक की भगवा राजनीति में दखल देना बंद करें और अपना सारा ध्यान दिल्ली की राजनीति पर फोकस करें। सूत्र बताते हैं कि मोदी ने अनंत से उन्हें एक बड़े मंत्रालय देने का भी वादा किया है, चुनांचे केंद्रीय मंत्रिमंडल के अगले फेरबदल में उन्हें टेलीकॉम जैसा कोई अहम मंत्रालय सौंपा जा सकता है।

 
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