क्या झारखंड में बिल्ली के भाग्य से छींका टूटेगा?

July 28 2021


झारखंड में इन दिनों सियासी तूफान आया हुआ है, जो भगवा आकांक्षाओं के बिल्कुल मुफीद भी है। आने वाले दिनों में राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के लिए परेशानियां बढ़ सकती हैं, सोरेन की पार्टी के 30 विधायक हैं और कांग्रेस के 16, सरकार में कांग्रेस के चार मंत्री भी हैं, इसके बावजूद सोरेन राजकाज चलाने में कांग्रेस को उतना भाव नहीं देते हैं। भाजपा सोरेन के सत्ता पलट के लिए काफी समय से यहां सक्रिय हैं। पिछले दिनों झारखंड कांग्रेस के छह नाराज़ विधायक यूं अचानक दिल्ली पहुंच गए, सुना यह भी जा रहा है कि इनमें से दो विधायकों की अमित शाह से मुलाकात भी हो गई। रांची में जमे अन्य नाराज़ कांग्रेसी विधायकों को मनाने की जिम्मेदारी पार्टी हाईकमान ने अपने वरिष्ठ नेता सुबोधकांत सहाय को सौंपी, इन नाराज़ विधायकों से बात करने के बाद सहाय ने दिल्ली की फ्लाईट पकड़ ली, जहां छह नाराज़ विधायक पहले से जमे हैं। सोरेन की दिक्कत है कि अगर राज्य में कांग्रेस में टूट होती है तो उनकी पार्टी भी इसकी जद में आ सकती है क्योंकि उनके दिवंगत बड़े भाई दुर्गा सोरेन की पत्नी, सीता सोरेन जो कि झामुमो की विधायक भी हैं, वे सरकार में अपनी उपेक्षा से खासी नाराज़ हैं, उन्हें लगता है कि हेमंत अपने भाई बसंत सोरेन पर ज्यादा भरोसा दिखाते हैं, वहीं पार्टी के वरिष्ठ नेता स्टीफन मरांडी पहले से नाराज़ चल रहे हैं। भाजपा को सोरेन सरकार गिराने और फिर वहां अपनी सरकार बनाने के लिए एक प्रो-एक्टिव लीडर चाहिए, वहीं बाबूलाल मरांडी ठहरे शांत, शालीन व सभ्य, सो वहां बात अब तक बन नहीं बन पा रही।

 
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