मथुरा से हेमा क्यों?

March 30 2014


भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने पार्टी नेताओं के समक्ष अपनी प्राथमिकताएं स्पष्टï कर दी हैं कि इस दफे यूपी की तीन प्रमुख सीटें काशी, अयोध्या व मथुरा जीतना उनके लिए नाक का सवाल बन गया है। चुनांचे काशी की बागडोर स्वयं मोदी ने अपने पास रखी अयोध्या से पुराने भाजपाई लल्लू सिंह को जो पिछला विधानसभा चुनाव भी हार गए थे तथा मथुरा को लेकर काफी विचार मंथन के दौर चले। राजनाथ मथुरा की सीट अपने साढ़ू भाई अरुण सिंह के लिए चाहते थे तो मोदी ने स्वयं हेमा मालिनी से बात की तब हेमा की इच्छा गाजियाबाद या गौतमबुद्ध नगर से चुनाव लडऩे की थी पर मोदी ने उन्हें मथुरा से लडऩे के लिए मनाया। मोदी का तर्क था कि हेमा स्वयं ब्राह्मïण हैं और उनके पति जट सिख जिससे अजीत सिंह के जाट वोटों में दरार डाली जा सकती है। क्योंकि मथुरा में कोई साढ़े चार लाख जाट वोट हैं। चुनांचे इसीलिए धमेंद्र भी मथुरा में रोड शो करने के लिए तैयार हो गए हैं। अजीत सिंह के पुत्र जयंत जो दो तारीख को यहां नामांकन दाखिल करने वाले हैं उन्होंने जाट बहुल गांवों में अपना जनसंपर्क तेज कर दिया है। एक वक्त तो जयंत यह भी सोच रहे थे कि वे हेमा के खिलाफ चुनाव नहीं लड़ेंगे पर पिता के समझाने पर वे मान गए। वहीं अजीत जया प्रदा को भी लगे हाथ टटोलते रहे कि क्या वो बिजनौर की जगह मथुरा से हेमा के सामने चुनाव लडऩे को तैयार हैं? जया प्रदा की हामी मिलने के बाद भी अजीत जया को मथुरा नहीं ला पाए इसकी सबसे बड़ी वजह मथुरा के जाटों में जया प्रदा को लेकर विरोध था। सो, यूपी की पौराणिक महत्व की तीनों सीटों काशी, मथुरा और अयोध्या में जीत को लेकर भाजपा ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। सिर्फ अयोध्या का मामला ही डांवाडोल दिख रहा है।

 
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