मोदी-शाह को क्यों प्यारे हैं खुल्बे? |
October 26 2014 |
पश्चिम बंगाल कैडर के 1983 बैच के अफसर भास्कर खुल्बे को पीएमओ में एडिशनल सेक्रेटरी बनाए जाने से कहीं न कहीं इस बात का ऐलान जान पड़ता है कि मोदी-शाह द्वय का अगला पड़ाव पश्चिम बंगाल है। खुल्बे जो मूलत: उत्तराखंड के रहने वाले हैं इनकी गिनती एक सक्षम, ईमानदार और डायनामिक अफसर में होती है, जिन्हें बंगाल की राजनीति का हर फलसफा बखूबी याद है। जब बुध्ददेव भट्टाचार्य पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री थे तो उन्होंने खुल्बे को दिल्ली में अपना रेजिडेंट कमिश्नर नियुक्त किया था, साथ ही वे उद्योग मंत्रालय में एडवाइजर भी थे, जब बंगाल की बागडोर ममता के हाथों में आई तो जाने-अनजाने खुल्बे ममता के निशाने पर आ गए, अपने इंडस्ट्री मिनिस्टर अमित मित्रा के साथ धक्का-मुक्की को गंभीरता से लेते हुए दीदी ने खुल्बे को रेजिडेंट कमिश्नर पद से हटा दिया और उन्हें कोलकाता तलब कर लिया। ममता की नाराजगी को भांपते हुए खुल्बे अपनी पत्नी की बीमारी का बहाना बनाते हुए लंबे अवकाश पर चले गए और इन लोकसभा चुनावों से ऐन पहले वे केंद्र सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल एंड ट्रेनिंग (डीओपीटी) में ज्वाइंट सेक्रेटरी लग गए और बाद में उनके पीएमओ में आने का रास्ता खुल गया। दरअसल, मोदी और अमित शाह को अपने लिए ऐसे किसी अफसर की सख्त तलाश थी जो न सिर्फ बंगाल की राजनीति की नब्ज जानता हो, बल्कि वहां की चप्पे-चप्पे की जानकारी भी रखता हो। कहना न होगा कि खुल्बे को सारदा चिट फंड और कोल ब्लॉक घोटाले की पूरी जानकारी है। बंगाल के आने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा इन्हीं जानकारियों को अभिव्यक्ति के सर्वोत्तम हथियार के मानिंद इस्तेमाल कर सकती है। |
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