गडकरी के डिनर पर क्यों उबले मोदी और भागवत?

October 08 2017


देश के मिजाज में हिंदुत्व के प्रस्फुटन और इसकी तासीर में केसरिया ताने-बाने के आगाज़ के बावजूद ऐसा क्या है जो सत्ता के हिंडोलों पर सवार भाजपा और सातवें आसमान की सवारी गांठते राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बीच सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है। पिछले पखवाड़े इसकी बानगी केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के घर आहूत रात्रि भोजन पर दिखी, विश्वस्त सूत्र बताते हैं कि इस डिनर में मोदी, शाह, मोहन भागवत, भैय्याजी जोशी समेत 7 प्रमुख नेता शामिल थे। सूत्र बताते हैं कि इस बैठक का मुख्य उद्देश्य मोदी सरकार व संघ के संबंधों में समन्वय बनाने को लेकर था। सूत्रों का दावा है कि जब संघ प्रमुख मोहन भागवत ने सरकार की आर्थिक नीतियों को लेकर किंचित सख्त भाषा का इस्तेमाल किया तो सत्ता के शीर्ष द्वय ने इसका बुरा माना। दरअसल, भागवत की चिंता कमोबेश उसी लाइन पर थी, जो चिंता आज अरुण शौरी या यशवंत सिन्हा जता रहे हैं, भागवत की असल चिंता देश में घटती नौकरियों को लेकर थी। सूत्रों के मुताबिक भागवत की इस चिंता का मोदी ने भी अपने तरीके से जवाब दिया, उनके कहने का लब्बो-लुआब यह था कि वे देश के प्रधानमंत्री हैं और किंचित कड़े फैसले लेने का हक उनके पास है। इस कहा-सुनी में मामला इतना असहज हो गया कि भागवत भोजन की थाली बीच में ही छोड़ कर अन्य कमरे में चले गए। नाराज भागवत को बमुश्किल मना कर वापिस खाने की टेबुल पर लाया जा सका। पर इस तनातनी की अनुगूंज संघ के आनुशांगिक संगठनों के काम-काज से भी झलकने लगी है, भारतीय किसान मजदूर संघ ने मोदी की आर्थिक नीतियों को लेकर उसी शैली में विरोध की आवाज़ उठाई है, जिस शैली के प्रवर्त्तक संघ प्रमुख रहे हैं।

 
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