तारणहार कैसा हो, स्मृति ईरानी जैसा हो!

December 27 2015


आप के अरविन्द केजरीवाल और उनकी टीम ने जिस रोज भाजपा सर्वशक्तिमान अरूण जेटली के खिलाफ डीडीसीए मामले में आरोपों के तीर दागे थे, पार्टी अध्यक्ष अमित शाह की अगुवाई में पार्टी नेताओं की एक अहम बैठक में यह फैसला लिया गया था कि भाजपा की ओर से पार्टी प्रवक्ता संबित पात्रा अरूण जेटली का पक्ष सार्वजनिक रूप से सामने रखेंगे और मीडिया के सवालों का माकूल जवाब देंगे। जब यह बात अरूण जेटली को पता चली तो वे बेतरह उखड़ गए। सूत्र बताते हैं कि उन्होंने अमित शाह से बेहद साफ लहजे में कहा कि ’जब भाजपा के किसी बड़े नेता या नेत्री चाहे वह केंद्र में मंत्री ही क्यों न हो, उन पर कोई मुसीबत आती है, या कोई संगीन आरोप लगते हैं तो इसका जवाब देने के लिए और उनके बचाव में स्वयं जेटली मोर्चा संभाल लेते हैं। जब आज उनके ऊपर (जेटली के ऊपर) आरोप लग रहे हैं तो पार्टी का एक अदना सा प्रवक्ता उनका क्या बचाव करेगा?’ तब जेटली ने कहा कि किसी केद्रीय मंत्री को उनके बचाव में सामने आना चाहिए, और मंत्री भी ऐसा हो जिनकी छवि उनके चेले की न हो, यानी पीयूष गोयल, निर्मला सीतारमण, धर्मेंद्र प्रधान जैसों को नेपथ्य में रखा जाए, फिर जेटली ने अपनी ओर से स्मृति ईरानी का नाम सुझाया। स्मृति मीडिया में आगे बढ़कर आईं भी, पर उनकी आक्रामकता उनके कंटेंट में नहीं, उनकी भाव-भंगिमाओं में ज्यादा झलक रही थी, किंचित जेटली को इसका फायदा कम, नुकसान ज्यादा हो गया।

 
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