’सिर्फ तेरा ही एक चेहरा मेरे तसव्वुर से झांकता रहा है,
मेरे ही चिल्मन में रहकर मुझको मुझी से मांगता रहा है’
विपक्षी एका का एक नया मैराथन शुरू हो गया है, जिसके शिल्पकार बने हैं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार। 23 जून को पटना में विपक्षी एका की पहली बैठक आहूत है, जिसमें कांग्रेस की ओर से राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे दोनों बड़े नेता शाामिल हो सकते हैं। इसके अलावा इस बैठक में ‘शामिल होने के लिए ममता बनर्जी, ‘शरद पवार, अखिलेश यादव, हेमंत सोरेन और एम के स्टालिन जैसे बड़े विपक्षी नेताओं ने भी हामी भर दी है। बस दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और तेलांगना के सीएम केसीआर का पेंच अभी भी फंसा हुआ है। दरअसल, इसके पीछे कांग्रेस है जो नहीं चाहती कि वो इन दोनों नेताओं के साथ एक मंच पर दिखे। आने वाले कुछ महीनों में तेलांगना में भी विधानसभा के चुनाव होने हैं, ऐसे में कांग्रेस को डर है कि वह केसीआर के साथ साझा मंच षेयर करती नज़र आई तो राज्य में उसके वोट केसीआर की पार्टी ‘बीआरएस’ को ट्रांसफर हो सकते हैं। कांग्रेस का जोर इस बैठक को शिमला में आहूत कराने को लेकर था, पर जब नीतीश ने समझाया कि विपक्षी एका के इस नए गठबंधन का आगाज़ लोकनायक जयप्रकाश नारायण की धरती से होना चाहिए, जिन्होंने अपने नैतिक बल से तब कि सत्तारूढ़ दिल्ली की चूलें हिला दी थीं। कांग्रेस यह भी चाहती है कि यूपीए के स्थान पर जो नया गठबंधन आकार ले रहा है इसकी नियमित अंतराल पर बैठक हो। सूत्रों की मानें तो पटना के बाद इस गठबंधन की अगली बैठक किसी कांग्रेस ‘शासित राज्य मसलन हिमाचल प्रदेश या राजस्थान में हो सकती है। सूत्र यह भी खुलासा करते हैं कि इस नए गठबंधन का अध्यक्ष शरद पवार को बनाया जा सकता है और नीतीश इसके संयोजक हो सकते हैं।