विभव के वैभव पर आंच |
November 28 2017 |
आगरा के मूल निवासी और इलाहाबाद से पढ़े-लिखे विभव कांत उपाध्याय का जापान कनेक्शन बेहद पुराना है। विभव ’इंडिया सेंटर फाऊंडेशन’ के चैयरमेन हैं और जापान के सरकारी तंत्र यहां तक कि जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे तक उनकी सीधी पहुंच है। अटल बिहारी वाजपेयी के जमाने से इनकी पीएमओ में सीधी एंट्री है, वाजपेयी के जमाने में सुधीन्द्र कुलकर्णी से विभव के बेहद नजदीकी रिश्ते रहे हैं। कांग्रेस के जमाने में सैम पित्रोदा से भी उनकी बेहद नजदीकियां रही हैं। मनमोहन सरकार में भी विभव की तूती बोलती थी। नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री बने तब से विभव के उनसे रिश्ते हैं। कहते हैं जापान के प्रधानमंत्री से मिलवाने पहली बार मोदी को लेकर विभव जापान गए थे। मोदी के मुख्यमंत्री रहते उनके चार्टर्ड फ्लाइट में अक्सर विभव को मोदी के साथ उड़ान भरते देखा जा सकता था। विभव ने भारत व जापान के बीच व्यापार बढ़ाने और दोनों देशों के रिश्तों को मजबूती देने के उद्देश्य से सन् 2000 में इंडिया जापान ग्लोबल पार्टनरशिप समिट शुरू किया। अगले महीने एक बार फिर से यह समिट दिल्ली में आहूत है। इस समिट में भाग लेने के लिए कई बड़े कॉरपोरेट हाउस के मुखिया और कई केंद्रीय मंत्रियों ने पहले से ही सहमति दे रखी थी। पर सूत्रों के हवाले से खबर मिली है कि जापान के एक प्रमुख बैंक ने विभव को लेकर पीएम से अपनी शिकायत दर्ज कराई है। इसके बाद साफ्ट बैंक के सीईओ राजीव मिश्रा ने प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात की। सनद रहे कि साफ्ट बैंक ने 25 हजार करोड़ रुपयों से ज्यादा का भारत में निवेश किया है। सूत्र बताते हैं कि इसके बाद से मोदी का नज़रिया विभव के प्रति किंचित बदल गया है और इस बात की सूंघ लगते कई प्रमुख केंद्रीय मंत्रियों ने विभव द्वारा आहूत समिट में शामिल होने में असमर्थता जता दी है। सूत्र बताते हैं कि इससे आहत होकर विभव नितिन गडकरी की शरण में जा पहुंचे, पर कहते हैं गडकरी ने भी इस मामले से अपने को अलग कर लिया है। |
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