ऐसे खिलेगा बिहार में कमल

October 30 2015


बिहार के चुनावी परिदृश्य पर भले ही अनिश्चय की धुंध छायी हो, पर भाजपा के बिग कमांडर अमित शाह बिहार चुनाव में एनडीए की जीत को लेकर आश्वस्त जान पड़ते हैं। सूत्र बताते हैं कि पिछले दिनों शाह ने संघ के शीर्ष नेतृत्व और प्रधानमंत्री मोदी को बिहार चुनाव के संदर्भ में अपनी एक विश्लेषणात्मक रिपोर्ट सौंपी है, जिसमें खम्म ठोंककर यह दावा हुआ है कि बिहार में एनडीए भारी बहुमत से सरकार बना रहा है। इसके लिए शाह ने बिंदुवार क्रम से कारण भी गिनाए हैं, मसलन शाह ने अपनी रिपोर्ट में सबसे पहले पार्टी कैडर की जी खोलकर तारीफ की है और कहा है कि बिहार के 60 हजार से ज्यादा पोलिंग बूथ पर प्रति बूथ दस पार्टी कार्यकर्ता तैनात हैं, जो मतदाताओं को न सिर्फ बूथ तक लाने का कार्य कर रहे हैं, बल्कि यह भी सुनिश्चित कर रहे हैं कि इनके वोट सही तरीके से कास्ट हों। बिहार के 6.8 करोड़ वोटरों को लुभाने के लिए पार्टी के 96 लाख कार्यकर्ताओं ने दिन रात एक कर रखे हैं, और इस कार्य में उन्हें संघ के समर्पित 70 हजार स्वयंसेवकों का निःस्वार्थ भाव से साथ मिल रहा है जबकि नीतीश अपने कैडर को लेकर पूरी तरह से लालू पर आश्रित हैं। बिहार में पार्टी हरियाणा के सफल प्रचार माडल को अपना रही है और पूरी चुनावी लड़ाई को 65 बनाम 35 बनाने में जुटी है। मुस्लिम, यादव और कुर्मी को मिला कर महागठबंधन के पक्ष में 35 फीसदी का आंकड़ा जुटता है, चुनांचे शाह का मानना है कि पेश 65 फीसदी जातियां भाजपा और एनडीए के पक्ष में वोट कर सकती है। शाह को भरोसा है कि राज्य के 15 फीसदी अगड़े मजबूती से एनडीए के पक्ष में खड़े हैं, जिसे 4 फीसदी दुसाध (पासवान), 8 फीसदी कुशवाहा (उपेंद्र कुशवाहा) और 10-11 फीसदी महादलितों के वोट को जीतन राम मांझी ड्राईव करने का माद्दा रखते हैं। शेष बच गई 30 फीसदी अति पिछड़ी जातियां, जो लगभग 114 जातियों का मिला-जुला समूह है इनका झुकाव भी एनडीए के पक्ष में हैं। इसके अलावा शाह को लगता है कि बिहार में मोदी फैक्टर भी खूब काम कर रहा है, मोदी की जनसभाओं में नौज़वानों और महिलाओं की अच्छी खासी भीड़ जुट रही है जो एनडीए के लिए एक सकारात्मक संकेत है। शाह का यह भी कहीं मजबूती से मानना है कि बीफ मुद्दे पर नीतीश की सोची-समझी चुप्पी और लालू-रघुवंश के अनर्गल बयानों से हिंदुओं का मन महागठबंधन के प्रति खट्टा हुआ है। शाह की इस रिपोर्ट कार्ड से मोदी भी सहमत बताए जाते हैं। यही वजह है कि मोदी बिहार के आखिरी तीन चरणों के चुनाव के लिए 17 रैलियां करने के लिए तैयार हो गए हैं।

 
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