चुनाव से घबराते दिग्गज

February 16 2014


2014 के आम चुनाव का रंग कुछ अलहदा है, सियासत पल-पल रंग बदल रही है और बड़े-बड़े खिलाडिय़ों के भी रंग उतर रहे हैं, मसलन जो दिग्विजय सिंह भाजपा नेत्री सुषमा स्वराज के खिलाफ बहुत पहले से विदिशा से चुनाव लडऩे का खम्म ठोंक रहे थे, वे बेदम निकले, अब तो वे सागर से भी चुनावी मैदान में उतरने को तैयार नहीं दिखते। मध्य प्रदेश के एक और प्रमुख कांग्रेसी नेता सुरेश पचौरी ने भी चुनाव लडऩे से मना कर दिया है, राजस्थान वाले सी.पी.जोशी का भी यही हाल है, सचिन पायलट अपनी अजमेर सीट छोडक़र जोशी की भीलवाड़ा सीट पर अपनी किस्मत आज़माना चाहते हैं, केंद्रीय खेल राज्य मंत्री भंवर जितेंद्र सिंह अपनी अलवर की सीट से अपनी पत्नी अंबिका सिंह को लड़वाना चाहते हैं, केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री नमो नारायण मीणा की सीट टोंक-सवाई माधोपुर से अशोक गहलोत अपने पुत्र वैभव को चुनाव लड़वाना चाहते हैं। भाजपा की देशव्यापी मोदी-हवा के बावजूद भी कई बड़े नेताओं की हवाईयां उड़ रही है। अरुण जेतली, मुख्तार अब्बास नकवी, वेंकैया नायडू जैसे नेता चुनाव नहीं लडऩा चाहते। शत्रुघ्न सिन्हा के बड़े बोलों से मोदी-फोरम नाराज़ है, सो वह सिन्हा की पटना सीट से रवि शंकर प्रसाद को लड़वाना चाहता है। कल्याण सिंह के पुत्र राजवीर सिंह भी बुलंदशहर से चुनाव लडऩे का इरादा बुलंद नहीं कर पा रहे, वे अपने लिए राज्यसभा चाहते हैं। शशि थरूर अपनी पत्नी सुनंदा की असमय मौत से गमज़दा हैं, सो वे तिरूअनंतपुरम से चुनाव लडऩे में ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखा रहे।

 
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