सिन्हा है दोनों, पर अनिल की बात कुछ और है

December 29 2014


सीबीआई के नए डायरेक्टर अनिल सिन्हा अपने पूर्ववर्ती निदेशक की तुलना में कहीं ज्यादा स्वच्छ और ईमानदार छवि के माने जाते हैं, राजीव गांधी के जमाने में वे एसपीजी के प्रमुख भी रह चुके हैं, इस नाते उनके गांधी परिवार और कांग्रेस से भी अच्छे ताल्लुकात हैं, सीवीसी के अतिरिक्त सचिव रहते हुए भी उनके काम-काज का रिकार्ड खासा अच्छा था। पूर्व सीबीआई निदेशक रंजीत सिन्हा से भी उनके गहरे ताल्लुकात हैं, चूंकि दोनों ही बिहार कैडर से हैं, और कायस्थ हैं, शायद यही वजह रही कि अनिल सिन्हा ने निदेशक के लिए आवंटित बंगला 8 महीनों के लिए रंजीत सिन्हा को ही रहने के लिए दे दिया है। एक और जहां अनिल सिन्हा सदैव विवादों से दूर रहे हैं, वहीं रंजीत सिन्हा से विवादों का चोली-दामन का साथ रहा है। जैसे, 2जी मामले में विभाग की 250 पेज की रिपोर्ट को उन्होंने महा छह लाइन में खारिज कर दिया था। इस पर मुकुल रोहतगी ने कड़ा ऐतराज जताया था और इस मामले में कोर्ट को संज्ञान लेना पड़ा था। चूंकि इस मामले में तत्कालीन टेलीकॉम मंत्री मारन का नाम भी आ रहा था, सो मारन ने इस बाबत कथित तौर पर रंजीत सिन्हा से कुछ लेन-देन कर ली, इस बात की जानकारी मारन ने ‘ट्राई’ के तत्कालीन चैयरमैन नृपेंद्र मिश्र को भी दी थी। सूत्र बताते हैं कि रंजीत सिन्हा से जुड़ी एक सीडी और ऑडियो टेप काफी समय से राजनैतिक गलियारों में घूम रही है। शायद यही वजह है कि अमित शाह ने एक वक्त रंजीत सिन्हा को दिल्ली का उप राज्यपाल बनाना तय कर लिया था, पर इस प्रस्ताव से अरुण जेतली इत्तफाक नहीं रखते थे, सो शाह को यह मामला ठंडे बस्ते में डालना पड़ा।

 
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