अगर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की चिंताओं से रू-ब-रू हुआ जाए तो उनकी सरकार पर खतरों के बादल मंडरा रहे हैं। कांग्रेस से जुड़े सूत्र बताते हैं कि अभी कुछ रोज पहले हेमंत ने राहुल गांधी से बात कर राज्य के कांग्रेसी विधायकों से वन-टू-वन बात करने का आग्रह किया है, झारखंड के मुख्यमंत्री को डर है कि कांग्रेस के कुल जमा 15 विधायकों पर भाजपा डोरे डाल रही है, ताकि राज्य में ‘ऑपरेशन कमल’ की एक नई इबारत लिखी जा सके। राज्य में हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाले झारखंड मुक्ति मोर्चा के 28, कांग्रेस के 15, आरजेडी, एनसीपी और सीपीआईएल के 1-1 विधायकों से मिल कर बनी सरकार है, वहीं जवाब में भाजपा के 26, एजेएसयू के 2 और 2 निर्दलीय विधायक विरोध में अलख जगा रहे हैं। बेरमो से कांग्रेस के विधायक राजेंद्र सिंह की कोविड से मौत के बाद उस सीट पर उप चुनाव हो रहा है, चूंकि हेमंत सोरेन ने राज्य की 2 सीटों पर जीत दर्ज कराई थी, सो उन्होंने दुमका सीट छोड़ दी है, वहां भी उप चुनाव हो रहा है। सूत्र बताते हैं कि सोरेन की चेतावनी के बाद आरपीएन सिंह और अहमद पटेल एक-एक कर के राज्य के कांग्रेसी विधायकों से बात कर उनकी चिंताओं को दूर करने के प्रयास कर रहे हैं। कांग्रेस जानती है कि सियासी जोड़-तोड़ के खेल में भगवा चाणक्य को परास्त करना उसके वष का नहीं। नहीं तो 2014 से 2019 के बीच जिन 18 राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए वहां भाजपा सिर्फ 2 राज्यों यूपी और गुजरात में ही पूर्ण बहुमत के साथ पुनर्वापसी कर पाई, नहीं तो हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश व बिहार जैसे राज्यों में भाजपा दलबदल करवा कर ही वहां अपनी सरकार बनवा पाई है, यही प्रयास राजस्थान में हुआ जहां उसे सफलता नहीं मिली।