कांग्रेस में बगावत के सुर

June 15 2014


पराजय, सियासत की नई पटकथा की सबसे बड़ी सूत्रधार होती है। संसद में मात्र 44 सीटों वाली कांग्रेस को प्रदेश में अपने क्षत्रपों को संभालने में बड़ी मुश्किलें आ रही हैं, पार्टी के असंतुष्ट नेता बागी तेवर दिखा रहे हैं, मसलन महाराष्ट्र में नारायण राणे को इस बात की बड़ी उम्मीद थी कि चव्हाण की जगह उन्हें सीएम बनाया जाएगा, पर कांग्रेस हाईकमान की मनाही के बाद उनके हाव-भाव तनिक बदले-बदले से हैं, उनकी पार्टी छोड़ने की अटकलें तेज हो गई हैं। असम में भी पार्टी में भयंकर असंतोष है, यहां भी कभी भी पार्टी दो-फाड़ हो सकती है। उत्तराखंड और हरियाणा में कांग्रेस के कई विधायक और वरिष्ठ नेता भाजपा का दामन थामने को बेकरार हैं। यूपी और बिहार में भी विद्रोह के स्वर सुने जाने लगे हैं। कभी पानी पी-पीकर नरेंद्र मोदी को कोसने वाले ट्वीट की झड़ी लगाने वाले शशि थरूर का भी मन बदल गया है, वे मोदी के नए प्रशंसकों में शुमार हो गए हैं। सूत्र बताते हैं कि उन्होंने मोदी से मिलने का समय भी मांगा है, कांग्रेसी भी लगतार थरूर से दबी जुबान में पूछ रहे हैं कि जिस व्यक्ति (मोदी)ने उनकी पत्नी सुनंदा (अब दिवंगत) को 50 करोड़ की गर्ल-फ्रेंड कहा था, आज थरूर उसके कदमबोशी को कैसे तैयार हो गए हैं? जब कि भाजपा से जुड़े सूत्र खुलासा करते हैं कि शशि थरूर के लिए भाजपा में अपार सियासी संभावनाएं हैं, उन्हें पार्टी अपने दक्षिण का चेहरा बना सकती है, और अगर उन्हें भाजपा में शामिल होने के लिए अपनी लोकसभा की सदस्यता छोड़नी भी पड़ती है तो कोई बात नहीं, पार्टी उन्हें राज्यसभा में लाकर कांग्रेस को एक माकूल जवाब दे सकती है।

 
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