सहाराश्री से नाराज सोनिया

March 02 2014


सहारा प्रमुख सुब्रत राय को सोनिया गांधी से पंगा लेना भारी पड़ा। सोनिया बनाम सहारा के इस जंग का आगाज़ तब हुआ जब 1999 में अपने एक प्रेस-कांफ्रेंस के दौरान अपनी देशभक्ति की रौ में सहाराश्री कह गए कि ‘किसी विदेशी मूल की महिला को इस देश का प्रधानमंत्री नहीं बनना चाहिए।’ यह बात सोनिया के मन में घर कर गई, 2004 में जब केंद्र में पहली यूपीए सरकार का गठन हुआ तो चिदंबरम को बुलाकर सोनिया ने जिन दो लोगों के खिलाफ ‘ब्रीफ’ दिया उसमें से एक नरेंद्र मोदी थे, दूसरे सुब्रत राय सहारा। यूपीए-ढ्ढ कार्यकाल में जब लालू सहयोगी प्रेम गुप्ता ने कंपनी अफेयर्स मामलों का कार्यभार संभाला तो कथित तौर पर उन्हें भी सरकार की ओर से एक वर्क-प्लॉन दिया गया कि सहारा की दुकान कैसे बंद करवानी है, और कैसे चरणबद्द तरीके से सरकार द्वारा यह नोटिफिकेशन लाया जाना है कि सहारा द्वारा इक_ïी की जा रही तमाम रकम आरबीआई बांड में 100 $फीसदी लगानी जरूरी है। यूपीए सरकार अपने मंसूबों में कामयाब रही और शनै: शनै सहारा के लिए मुश्किलें बढ़ती गई। सेबी के चैयरमैन के तौर पर यू.के.सिन्हा की नियुक्ति भी इसी मंशा के तहत की गई थी, और ईनाम के तौर पर सिन्हा को केंद्र सरकार द्वारा दुबारा सेवा-विस्तार भी दे दिया गया। यानी केंद्र में नई सरकार के आने तक सहाराश्री को अपने अच्छे दिनों के लिए इंतज़ार करना पड़ सकता है।

 
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