वैश्विक होते संघ के मंसूबे |
December 07 2014 |
राष्ट्रीय स्वयंसेवक का विदेश विभाग इन दिनों पूरी दक्षता व तन्मयता के साथ मोदी के वैश्विक विचारों को संघ के मूल सिध्दांतों की कड़ी से जोड़ने में जुटा है। संघ का विदेश विभाग लंबे समय से इसके एक प्रमुख नेता मदनदास देवी के भरोसे रहा है। पिछले काफी समय से मदनदास जी की तबियत नासाज चल रही है, चुनांचे इस कार्य में उन्हें दत्तात्रेय होसबोले और नागेंद्र का पूरा सहयोग प्राप्त हो रहा है। यूं भी मदनदास और नरेंद्र मोदी के संबंधों में एक अलग किस्म का ताना-बाना बुना है। मदनदास काफी पहले से मोदी के पक्ष में अलख जगाते रहे हैं, इसकी एक वजह यह भी हो सकती है कि वे और मोदी दोनों एक ही गांव से आते हैं। पिछले दिनों जब दत्तात्रेय होसबोले अपनी यूरोप यात्रा पर गए थे तो उन्हें यूरोप में संघ का परचम लहराने में रामवैद्य और सौमित्र गोखले का भरपूर साथ मिला था। लंदन और पेरिस जैसे शहरों में दत्तात्रेय पब्लिक ट्रांसपोर्ट से यात्रा करते रहे। सनद रहे कि होसबोले का धर्म और कला के बारे में खासा अध्ययन है। सो, अपनी पेरिस व नीदरलैंड की यात्रा में उनका बहुत सारा वक्त वहां के अलग-अलग म्यूजियम में गुजरा। संघ की योजना 21 जून को विश्व योग दिवस के रूप में मनाने की है, इस दिन पूरी दुनिया में एक साथ योग दिवस को मनाया जाएगा। इसके लिए अलग-अलग देशों में संघ से सहानुभूति रखने वाले और इसके कार्यों को आगे बढ़ाने वाले लोगों की शिनाख्त की जा रही है। जैसे संघ के एक स्वयंसेवक नार्वे में मंत्री रह चुके हैं, त्रिनिदाद के चीफ जस्टिस संघ के करीबी रहे हैं, ब्रिटेन के कम से कम दो एमपी संघ के करीबी रहे हैं। संघ का दायरा बढ़ाने के लिए अमरीका और यूरोपीय देशों में काम कर रहे युवाओं खासकर सॉफ्टवेयर इंजीनियरों को संघ की शाखाओं में लाने के प्रयास हो रहे हैं। जैसे सिलिकन वैली में संघ की ओर से यह जिम्मा येलो जी राव, वॉशिंगटन डीसी में राधेश्याम त्रिवेदी व वेद प्रकाश नंदा और इंग्लैंड में धीरज भाई शाह संभाल रहे हैं। यानी संघ इन दिनों पूरी तरह ग्लोबल होने के प्रयासों में जुटा है। |
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