संघ का मिशन-वेटिकन |
September 21 2014 |
एक ओर जहां प्रधानमंत्री अपनी अमरीका यात्रा की तैयारियों में जुटे हैं, वहीं राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ यूरोप के देशों में अपना जनाधार बढ़ाने में जुटा है। संघ के एक प्रमुख नेता दत्तात्रेय होसबोले इन दिनों लंदन में हैं, जहां संघ की सम्मिलित शाखाओं का आयोजन हो रहा है। अपने लंदन प्रवास के दौरान होसबोले लेखक और कंजरवेटिव पार्टी के पूर्व मुखिया जेफरी आर्चर से भी मिले, इसके अलावा कंजरवेटिव पार्टी के एक अन्य सांसद बॉब ब्लैकविल से भी उनकी लंबी मुलाकात हुई। सनद रहे कि ब्लैकविल पहले भी संघ के कार्यक्रमों में सक्रिय रूप से हिस्सा लेते रहे हैं। इसके बाद होसबोले यहां से स्काईट्रेन के मार्फत पेरिस के लिए रवाना होंगे, फिर उनका नीदरलैंड व इटली जाने का प्रोग्राम है, नीदरलैंड में वे सूरनामी मूल के लोगों की एक सभा को भी संबोधित करने वाले हैं। समझा जाता है कि फिर वे पोप से मिलने वेटिकन सिटी का रूख कर सकते हैं, इसके पूर्व संघ की ओर से मनमोहन वैध भी इटली और फ्रांस में संघ की शाखाएं लगा चुके थे। संघ वेटिकन मॉडल के तर्ज पर पश्चिमी देशों में अपना प्रचार-प्रसार चाहता है, स्विट्जरलैंड जैसे देशों में संघ काफी सक्रिय रहा है। सनद रहे कि सन् 1896 में जब स्वामी विवेकानंद स्विट्जरलैंड गए तो उनका भाषण सुनने के लिए तब वहां काफी भीड़ जुटी थी। दत्तात्रेय ने विश्व कप फुटबॉल के दौरान एक आलेख लिखा था-‘वसुधैव कुटुम्बकम : और फुटबॉल’ यह आलेख किसी तरह पोप के पास पहुंच गया, वे भी फुटबॉल के उतने ही बड़े दिवाने हैं, सो उन्होंने वेटिकन स्थित भारतीय राजदूत को बुलाकर होसबोले से मिलने की इच्छा जाहिर की। चूंकि भारतीय राजदूत लोकेश और होसबोले दोनों ही कर्नाटक से हैं, सो वे एक-दूसरे को पहले से जानते रहे हैं। समझा जाता है कि पोप से मिल कर होसबोले उनके समक्ष भारत में बड़े पैमाने पर हो रहे धर्मांतरण का मुद्दा उठा सकते हैं। वैसे भी संघ की ओर से अपने प्रचारकों को विदेश भेजने की परंपरा काफी पुरानी है, इससे पूर्व सौमित्र गोखले, राम वैध और राम माधव ने भी इन परंपराओं का लंबे समय तक निर्वहन किया है। |
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